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हाल ही पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के हत्यारों को मिले फ़ासी की सजा पर एक बड़ी बहस शुरू है |माननीया रास्ट्रपति जी की तरफ से भी उक्त अपराध के दोषियों के फ़ासी की सजा को यथावत रखा गया है लेकिन धीरे धीरे ये मुद्दा राजनितिक रंग में रंगता दिख रहा है |और सम्बंधित प्रदेश सरकार तथा सत्ता पक्ष के ही कुछ लोगों द्वारा इसे हटाये जाने की पुरजोर मांग की जा रही है |सवाल ये उठता है कि क्यों भारत में इस सजा के हटाये जाने कि मांग इतनी गंभीरता से क्यों उठाया जा रहा है |आमतौर पर भारत में फ़ासी की सजा बहुत रेयर केस में दिया जाता है और उसके बाद ज्यादातर में उच्च तथा उच्चतम न्यायालय अथवा राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा हस्तक्षेप कर उसे आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया जाता है |हाँ कुछेक जगह इसे यथावत रखा जाता है और उसमे भी अपराधी को सजा मिलते मिलते काफी समय लग जाता है ,फिर क्यों ऐसे बहस की आवश्यकता आन पड़ी है ? मेरे हिसाब से भारत जैसे देश में फ़ासी की सजा को बिलकुल ही नहीं हटाया जाना चाहिए कुछेक कारण पर बिन्दुवार मेरे विचार इस प्रकार है
१.फ़ासी की सजा की सबसे बड़ी आवश्यकता इस लिए है क्योकि ये एक ऐसी सजा है जिससे अपराध करने वाला अथवा एक आम नागरिक क़ानून से अत्यधिक डरता है और ऐसे किसी जघन्य अपराध करने के पहले फ़ासी की कल्पना मात्र करके कई बार उक्त अपराध को अंजाम नहीं दे पाता है |
२.आतंकवादियों द्वारा किया जाने वाला कुकृत्य फासी की सजा से कम का कभी नहीं होता है ,हजारों निर्दोषों की जान लेने वाले को मौत की सजा नहीं मिलेगी तो उनका हौसला कभी कम नहीं होगा |
३.फ़ासी की सजा उन अपराधियों के लिए है जिनका अपराध क्षम्य नहीं है अतः ऐसे अपराधियों को मौत की सजा मिलनी ही चाहिए,नहीं तो पीड़ित व्यक्ति के साथ न्याय नहीं हो पायेगा |
रुद्रनाथ त्रिपाठी (एडवोकेट )
वाराणसी
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