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भारतीय संस्कृति में बड़े और श्रेष्ठ लोगों के आदर का बहुत ही पुराना प्रचलन है |हम अपनी इसी थाती पर पूरी दुनिया में सम्मान पातें हैं |हमारे इस सम्मान में हमारी रास्ट्रभाषा हिंदी का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है |पूरी दुनिया में अंग्रेजी और चीनी के बाद हिंदी भाषा बोली और समझी जाती है |बल्कि उपरोक्त तीनों भाषाओं में हिंदी की अपनी एक अलग पहचान है |हिंदी न केवल भाषा है अपितु एक संस्कार है ,एक मर्यादा है |एक बहुत ही प्रसिद्द गीतकार ने लिखा है “मर्यादा है इस देश की पहचान है हिंदी |”
हिंदी भाषा अन्य भाषाओं की तुलना में सरस,सरल और सहज है |हिंदी एक मीठी और मनमोहक भाषा है |हिंदी सभी भाषाओं की जननी है |विश्व में बोले जानेवाले अन्य कई भाषाओं में बहुत त्रुटियाँ मिलती हैं |उदाहरण के लिए अंगेजी जैसे विश्वव्यापी भाषा में यू शब्द का प्रयोग आप और तुम दोनों के लिए होता है जबकि सही मायने में आप और तुम संबोधन में जमीन आसमान का अंतर है |यहाँ यू शब्द किसी को मिलने वाले उसके सम्मान से उसे वंचित कर देता है |जबकि हमारी मातृभाषा हिंदी ऐसे प्रयोजनों और व्यक्तियों का विशेष ख्याल करती है और उचित व्यक्ति को उचित सम्मान देकर अपनी सार्थकता सिद्ध करती है |
इसलिए हिंदी को हम केवल भाषा ही नहीं बल्कि एक संस्कार के रूप में स्वीकार करतें है |आज हिंदी दिवस है पुरे देश में जोर शोर से हिंदी दिवस मनाया जा रहा है और हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में जगह जगह विभिन्न कार्यक्रम आयोजित है |हमें इसे उल्लास के साथ मनाना है और एक संकल्प लेना है की हम इसके महत्व को केवल १४ सितम्बर को ही नहीं बल्कि पुरे वर्ष पर्यंत बनाए रखेंगें |क्योकि हिंदी का विकास हमारे और हमारे देश के विकास से जुड़ा है |हिंदी का सम्मान हिन्दुस्तान का सम्मान है |
आप सभी को हमारी तरफ से हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | जय हिंदी
रुद्रनाथ त्रिपाठी “पुंज” (एडवोकेट)
वाराणसी
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