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सुबह सुबह माँ ने बड़ी जोर से डाटा,उठ सात बज गए कब तक सोता रहेगा, तू नीद में “नहीं-नहीं मुझे नहीं जाना बिग बॉस के घर ” क्या बडबडा रहा है ? मै झट से उठा तो अपने आप को अपने घर के उसी कमरे और उसी बिस्तर पर पाया जहां मै पिछले २१ सालों से सोता रहा हूँ | तब मुझे पता चला कि मै कोई स्वप्न दे रहा था |मै याद करने लगा,धीरे-धीरे मुझे इतना याद आया कि रात में कलर्स चैनल पर प्रसारित हो रहे रियलिटी शो बिग बॉस देखकर मै सोया था शायद उसी के सन्दर्भ में कुछ देख रहा था|
दरसअल पिछली रात उक्त सीरियल बिग बॉस में रह रहें सदस्यों के बीच भारी विवाद हो रहा था |सभ्यता ,संस्कृति से कोसो दूर इस परिवार में सिर्फ और सिर्फ झगडा और सदस्यों का एक-दुसरे के प्रति द्वेष पूर्ण रवैया,बस और बस एक घटे तक यही सब दिखाया गया |बल्कि मै बहुत देर तक मनन करता रहा कि बिग बॉस जैसा घर दुनिया में किसी का नहीं होना चाहिए |चैनल इस शो को दिखाकर न केवल अपने चैनल की बल्कि इस देश की बदनामी कर रहा है |हद तो तब हो जाती है जब मुझे बीप आवाज में सदस्यों द्वारा एक दुसरे को भद्दी-भद्दी गालियाँ दिए जाने का आभास होता है |
छोटे-छोटे कपड़ों में घुमती लड़कियों को देखकर ये लगता है कि ऐसे रियलिटी शो को एडल्ट श्रेणी का सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए और इसका प्रसारण रात के बारह बजे के बाद ही होना चाहिए |
चूकिं कचहरी जाने का वक्त हो चला इसलिए मैंने रात के इस दुस्वप्न को और आगे याद कर अपने आप को और अधिक टेंसन से मुक्ति दिलाई और लग गया बाकी के दिनचर्या में |
लेकिन इस स्वप्न और इस रियलिटी शो के दृश्यों और संवादों से मन इतना व्यथित हुया है कि उनका बखान शब्दों में नहीं कर सकता |इसमें परिवार के सदस्य के रूप में शामिल लगभग अधिकतर सदस्य सास-बहू जैसे किचाहिनिया सीरियलों में काम कर कर के उसी स्वभाव और संस्कृति के हो गए हैं |
चैनल वालों से अनुरोध है कि तत्काल ऐसे सदस्यों को हटाकर कुछ साफ़-सुथरी संस्कृति और विचारवान लोगों को घर में प्रवेश कराये कि पढ़ा-लिखा तबका सपरिवार इस सीरियल को देख सके और कुछ सिख सके |और बिग बॉस के घर को ऐसे घर के रूप में साकार कर परदे पर दिखाएँ कि हर देखने वाला मन में ये इक्षा रखे कि मेरा भी घर बिग बॉस जैसा हो |
रुद्रनाथ त्रिपाठी ( एडवोकेट )
वाराणसी
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