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विगत कुछ समय से सार्वजनिक हमलों का दौर चल पड़ा है |कहीं किसी नेता ,कहीं किसी मंत्री तो कहीं किसी कार्यकर्ता को विभिन्न तरीकों से जनता और कुछ विशेष संगठनों से जुड़े लोग हमला कर रहें हैं | इन हमलों के पीछे कौन है और इनके मुख्य उद्देश्य क्या हैं ये तो पता नही है लेकिन ये जरुर है कि विरोध करने का ये तरीका बिलकुल ठीक नही है |
जनता के पास तो ऐसा हथियार है कि उससे बड़ों-बड़ों के पायजामे ढीले किये जा सकतें हैं |लेकिन ना जाने क्यों जनता उनके इस्तेमाल में सावधानी नही बरत पाती है और वहाँ भटक जाती है और खुद ही ऐसे व्यक्ति का चयन करती है जिसे बाद में उसे थप्पड़ मार कर अपना गुस्सा ठंडा करना पड़ता है | शरद पवार जी कभी भी देश के लोकप्रिय नेता नही रहे हैं |वे एक पद से संतुष्ट होने वाले प्राणी भी नही हैं | उन्हें दस-दस पद चाहिए ,उनके हजार-हजार नखरे हैं ,वे जनता कि हित से ज्यादा अपने व्यक्तिगत हित का ध्यान रखतें हैं |
मै इस थप्पड़ संस्कृति का समर्थक नही हूँ लेकिन सच तो यही है कि हमारे देश के संचालकों ने अपनी इज्जत-मर्यादा स्वयम से गवाई है | उन्हें नीद से उठना होगा इसके पहले कि जनता की नीद खुले नही तो अनर्थ होने से कोई नही रोक पायेगा | और हरविंदर जी कृपया हाथ के थप्पड़ से नही वोट के थप्पड़ से मारो ताकि अगर चोट लगे तो तो वो भरने लायक ना हो |
रुद्रनाथ त्रिपाठी (एडवोकेट)
वाराणसी
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