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पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में राष्ट्रीय लोकदल को अच्छी लोकप्रियता हासिल है |कमान बाबू अजीत सिंह के हाथों में हैं |किसानों की हितैषी माने जाने वाली यह पार्टी किस सोच और विचारधारा की है आज तक मुझे नही पता चल पाया ? हाँ ये जरुर याद है कि बाबू अजीत सिंह जी हर एक राजनितिक पार्टी से समय-समय पर जुड़े रहें हैं और अपना समर्थन देतें रहें हैं |जब भी कोई चुनाव की आहट उन्हें सुनाई पड़ती है वे अपना दिल बदल् देतें है और किसी न किसी पार्टी,जो माननीय अजीत सिंह जी को व्यक्तिगत फायदा पहुचाती है,को महोदय अपना और अपनी पार्टी का समर्थन सौप देतें है और कभी राज्य में तो कभी केंद्र में मंत्री बन जातें है |
सवाल यह उठता है कि अपने आप को मंत्री बनाने के लिए बाबू अजीत सिंह किसी भी विचार के लोगों से घुल-मिल जातें हैं उससे भी ख़ास बात यह है कि यह तय रहता है कि ये दोस्ती बहुत थोड़े समय के लिए रह पाएगी |मेरे ख्याल से बाबू अजीत सिंह से बड़ा अवसरवादी नेता और राष्ट्रीय लोकदल से बड़ी अवसरवादी पार्टी इस देश में नही है |
स्वारथ लागी करैं सब प्रीती ………..को सत्य सिद्ध करते हुए माननीय अजीत सिंह आगामी चुनावों में कांग्रेस से हाथ मिला रहें है,बदले में केंद्र में मंत्री पद का लालीपॉप भी पा रहें हैं | किसानों,नौजवानों और देश-प्रदेश के लोगों के साथ अजीत सिंह का यह चरित्र बड़ा स्वार्थवादी लगता है | कभी भाजपा ,कभी कांग्रेस ,कभी सपा तो कभी बसपा किसी के भी साथ और केवल व्यक्तिगत फायदे के लिए अपनी पार्टी का समर्थन दे देनें वाले ये नेता अवसरवादिता की पराकाष्ठा को भी लान्घतें जा रहे हैं |
क्या अजीत सिंह को उनके पिता एवं पूर्व प्रधानमन्त्री चौधरी चरण सिंह ने इसलिए राष्ट्रीय लोकदल का सर्वे सर्वा बनाया कि वे अपना चाल-चरित्र बदलकर रोज नए-नए विचारों और दलों से मिलकर कुर्सी हथियावें और जिस किसान ने उन्हें वोट दिया है उसकी कोई सहमती नही लें |क्या सीख दे रहें हैं आने वाली पीढ़ी को कि जब कुर्सी मिले तो अपने आदर्श ,अपने विचार और अपने कर्त्तव्य भूल जाना चाहिए |
चुनाव आ रहें हैं |मतदाताओं से यही कहना है कि राष्ट्रीय लोकदल और अजीत सिंह की इस स्वार्थवादिता को रोकने के लिए उन्हें सबक सिखाएं और बताएं की जनता की अनुमति के बिना किसी भी समय किसी भी छोटे से छोटे व्यक्तिगत हित के लिए अपने विचार,पार्टी के आदर्शवाद और उसकी उपादेयता को भूल जायेंगे तो हम भी आपको भूल जायेंगें अजीत बाबू ………….
रुद्रनाथ त्रिपाठी “पुंज” (एडवोकेट)
वाराणसी
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