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देश में पांच राज्यों के चुनाव का मुद्दा अन्ना जी के मुद्दे के आगे बहुत छोटा हो गया है | अफ़सोस इस बात का है की अन्ना जी के संघ से जुड़ने की कयासों को सरकार तथा भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त नेताओं ने जबर्जस्ती एक बड़ा मुद्दा बना दिया है | अगर अन्ना जी संघ से जुड़े भी रहें हैं या संघ के नेताओं से उनके कोई ताल्लुकात भी रहें हैं तो इसमें कोई बुराई मुझे नजर नही आती | संघ एक इमानदार और देश के प्रति समर्पित संस्था है | और अगर वे नानाजी जैसे लोगों के सम्पर्क और सरक्षण में रहें हैं तब तो बात ही निराली है |ऐसा करके अन्ना जी ने कोई अपराध नहीं किया है |
देश की सरकार , सरकार के मंत्री और प्रवक्ता जज न बनें और कम से कम अन्ना जी जैसे लोगों पर ऊँगली ना उठायें |माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी तो कभी अपने विवेकानुसार निर्णय नही ले पातें हैं |उन्हें हर बात के लिए सोनिया एंड संस की परमिशन और परामर्श की आवश्यकता होती है |काश की वे कभी संघ और संघ के अनुशाषित सिपाहियों के साथ कुछ समय व्यतीत किये होते तो वे भी आज एक निर्भीक और निर्णय ले सकने में सक्षम प्रधानमन्त्री के रूप में जाने जाते|
२७ दिसम्बर से प्रस्तावित अन्ना जी के अनशन को लेकर सरकार गंभीर नही है |अन्ना जी को इतने हल्के में लेकर सरकार एक भारी भूल करने जा रही है |इस बार मुंबई ,दिल्ली सहित पुरे देश में अन्ना जी का आन्दोलन लोगों के भारी समर्थन से सरकार को नाको चना चबवाएगी ऐसा मुझे लगता है |
रुद्रनाथ त्रिपाठी “पुंज” (एडवोकेट )
वाराणसी
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