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हमारे देश में अनेक धर्म,सम्प्रदाय और लाखों जाति के लोग रहतें हैं | हर व्यक्ति का अपना- अपना रहन-सहन , तौर-तरीका और अपनी भाषा है ,लेकिन संस्कृति ,संस्कार ,राष्ट्रीयता सबकी एक ही है |जहां तक राजनीति में जातिवाद का सवाल है मेरा मानना है जातिवाद और जातिवाद शब्द की उत्पत्ति ही राजनीतिक कारणों और उद्देश्यों से हुआ है | इन दिनों राजनीति में जातिवाद अत्यंत हावी होता जा रहा है ,छोटे से छोटे चुनाव से लेकर बड़े से बड़े चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में सम्बंधित क्षेत्र का जातिगत समीकरण देखकर निर्णय लिया जा रहा है |हम कह सकतें हैं कि जैसे फूल में खुशबू समाहित होता है उसी तरह आज राजनीति में जातिवाद फैलता जा रहा है |
जातिवाद एक कैंसर की तरह है जो राजनीति रूपी शरीर को बिलकुल खोखला करती जा रही है अब तो स्थिति ये हो गयी है कि हर राजनीतिक दल किसी न किसी जाति पर अपनी पार्टी का अधिकार जता रहा है |कोई वाई -एम् (यादव-मुस्लिम)समीकरण में जुटा है ,कोई दलित-ब्राह्मण के वोट बैंक के भरोसे एक बार सत्ता पर काबिज़ हो चुका है और फिर से उसी गणित पर दिमाग लगाए बैठा है तो कोई बनिया-पिछड़ी जाति और सवर्ण वोटों को अपना बता रहा है |किसी जाति विशेष में रुसूख रखने वाले लोगों को ,चाहे उन पर कितना भी आरोप रहा हो भिन्न-भिन्न राजनीतिक दलों नें अपने खेमें में करने के लिए हर हद से गुजरना स्वीकार किया है |किसी ने मुस्लिम वोटों के लिए मुस्लिम ,किसी ने कुशवाहा वोटों के लिए कुशवाहा तो किसी ने दलित और ब्राह्मण वोटों के लिए दलितों और ब्राह्मणों को अपने पालें में करने का हर संभव प्रयास किया है |
इमाम बुखारी जी जैसे प्रतिष्ठित लोग मुसलमानों को किसे वोट देना है किसे नही की नसीहत दे रहें हैं |क्या मुसलमान स्वयम ये निर्णय नही ले सकता वो किसे वोट दे और किसे नहीं |केवल वोट पाने के लिए कई दलों ने मुस्लिम आरक्षण की बात को हवा दी है |कोई मंदिर-मस्जिद की बात कर मतदाताओं में भिन्नता उत्पन्न कर रहा है तो कोई दलितों का माई -बाप बनने का दावा कर के मूर्तियों का ढेर लगवा रहा है |
क्यों ? क्यों कोई विकास की बात नही कर रहा है ? क्यों कोई लोगों की आम समस्याओं को मुद्दा नहीं बना रहा है ? क्यों जातिवाद के जहर में हमारा शहर ,हमारा प्रदेश और हमारा देश और हमारा समाज घुलता जा रहा है ?
इसका भी जबाब है मेरे पास | हम खुद ही अपना , अपने प्रदेश का विकास नहीं चाहतें हैं | ऐसे राजनीतिक दल और नेताओं को हम खुद ही प्रश्रय दे रहें हैं ,हमें उनका बहिष्कार करना चाहिए | हमें ऐसे व्यक्ति /प्रत्याशी को वोट देना होगा जो हमारी जाति का नहीं हमारे काम का हो |जिसका उद्देश्य किसी जाति विशेष अथवा जाति विशेष के लोगों की अपेक्षा समाज के विकास का हो | हम सभी भारतवासी एक ही जाति के हैं और वो जाति है हिन्दुस्तानी ……….हमें इस हिन्दुस्तानी बसंती चोले में रंगना होगा | और अगर हम ऐसा नही करेंगें तो आने वाला कल बहुत भयावह होगा ……बहुत ज्यादा
रुद्रनाथ त्रिपाठी “पुंज” (एडवोकेट) वाराणसी मोबाइल–9648000048
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