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उत्तर प्रदेश सहित चार प्रदेशों उत्तराखंड ,पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनाव के क्रम में जहां पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव सम्पन्न हो चुका है वहीँ उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण का मतदान चल रहा है|गोवा में भी मतदान चल रहा है |मतदान का प्रतिशत संतुष्टिदायक तो नही लेकिन कुछ संतोषजनक जरुर रहा |पूर्व की अपेक्षा लोगों की सहभागिता बढ़ी है, जो आने वाले कल और भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है |
एक तरफ कालाधन का मुद्दा लिए स्वामी रामदेव की हुंकार तो दुसरी तरफ अन्ना हजारे द्वारा जन लोकपाल बिल के लिए किये गए अनशन ने पुरे देश में क्रान्ति ला दी है वहीँ भारतीय मीडिया और भारत की न्यायपालिकाओं नें भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जो पहल की है वो भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है और इन सबके सतत प्रयास से वर्तमान चुनाव में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा बनकर सामने आया है लेकिन देश में जातिवाद का मुद्दा इतना विकृत रूप लेचुका है कि जातिवाद की दलदल में इस बार भी भ्रष्टाचार का मुद्दा हवा हो गया |लोगों के मन-मस्तिष्क पर भ्रष्टाचारियों के प्रति ,अन्ना जी ,रामदेव जी और इस प्रकार के अभियान से जुड़े लोगों के प्रति अपार श्रद्धा है मगर मंजिल अभी दूर है |
एक छोटा सा वाक्या बता दूँ ,वर्ष २०११ के प्रारम्भ में मैंने वाराणसी के एक पार्षद पद के उपचुनाव में नामांकन किया और व्यक्ति-व्यक्ति से मिला |लोगों नें अथाह सम्मान दिया ,परन्तु मतदाताओं नें वोट देते समय जातिवाद और दलवाद को प्रीफरेंस दिया मै चुनाव हार गया |मुझे चुनाव हारने का कत्तई दुःख नहीं हुआ लेकिन एक बात मेरे मन-मष्तिष्क में आज भी सवालिया स्वरुप में मुझे परेशान कर रही है , वो बात ये है कि जब मै अपना प्रचार कर रहा था तो बहुत सारे लोगों नें एक सवाल किया कि “गुरूजी आप चुनाव काहे लड़ गए ,चुनाव अच्छे लोगों के लिए नहीं हैं !” आप जैसे लोग इसमें सहभागिता करके स्वयम को भी इसी गंदगी में क्यों डालना चाहतें हैं ?
मतलब साफ़ है चुनावों में जब तक भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा नहीं बनाया जाएगा ,ऐसे सवाल होतें रहेंगें |वर्तमान में हो रहे पुरे चुनाव की प्रत्येक गतिविधियों पर मैंने नजर रखी पर मुझे जातिवाद के आगे भ्रष्टाचार का मुद्दा कहीं बढ़त लेते नहीं दिखा लेकिन अंतिम निष्कर्ष चुनाव परिणाम के बाद ही तय होगा |
रुद्रनाथ त्रिपाठी “पुंज”(एडवोकेट)
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